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Uttarakhand Disaster: ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद टनल के अंधेरे में 'किरण' बनकर आया बचाव दल

चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के कारण टनल में कई श्रमिक फंस गए थे लेकिन जवानों की हिम्मत से उनको नई जिंदगी मिली है। ग्लेशियर फटने के बाद करीब एक बजे भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) व सेना ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया।

By Sumit KumarEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 07:10 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 12:11 PM (IST)
जवानों की हिम्मत से उनको नई जिंदगी मिली है।

जागरण संवाददाता, देहरादून: चमोली जिले के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के कारण टनल में कई श्रमिक फंस गए थे, लेकिन जवानों की हिम्मत से उनको नई जिंदगी मिली है।

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ग्लेशियर फटने के बाद करीब एक बजे भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) व सेना ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया। देर शाम वायु सेना का विमान हरकुलिस साजो सामान के साथ जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचा। आइटीबीपी के सीओ दानूधर ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही औली व जोशीमठ से 250 जवान रैणी गांव पहुंचे, जहां पता लगा कि टनल नंबर-2 के अंदर श्रमिक फंसे हुए हैं। टनल के ऊपर करीब 20 फिट मलबा जमा था, पता नहीं लग पा रहा था कि टनल कहां से शुरू है। ऐसे में सबसे पहले मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। बीच में से टनल तोड़कर रेस्क्यू शुरू किया गया। करीब साढ़े पांच घंटे की मेहनत के बाद जवानों ने श्रमिकों को बाहर निकालना शुरू कर दिया था। 

उन्होंने बताया कि हर जगह मलबा था। कुछ मकानों की केवल छतें ही नजर आ रही थी, लेकिन हिमवीरों ने शौर्य, दृढ़ता व कर्मनिष्ठा से काम करते हुए टास्क पूरा किया और 12 श्रमिकों को जीवित बाहर निकाला। इनमें से नौ की हालत तो स्थिर थी, जबकि तीन को बेहोशी की हालत में निकाला गया। 

एसडीआरएफ के सेनानायक ने संभाली कमान

एसडीआरएफ के सेनानायक नवनीत भुल्लर ने बताया कि आपदा की सूचना मिलने पर जोशीमठ, गोचर, गैरसैंण की टीम को मौके पर भेजा गया, जबकि रुद्रप्रयाग, ऋषिकेश, कोटद्वार, पौड़ी की टीम को अलर्ट किया गया। चार टीम देहरादून सहित एसडीआरएफ के 60 जवानों को रैणी भेजा गया, जिन्होंने टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू शुरू किया। सेनानायक खुद रेस्क्यू की कमान संभालते हुए रैणी पहुंचे और सुरंग में जाकर श्रमिकों को बाहर निकालने का काम किया। देर शाम को एसडीआरएफ की रिस्पांस टीम को मौके पर भेजा गया। टीम में फार्मेसिस्ट, टेक्निशियन, इलेक्ट्रीशियन शामिल हैं। जवान बेघर हुए स्थानीय व्यक्तियों को सहायता पहुंचा रहे हैं।

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शाम को एनडीआरएफ, एयरफोर्स की टीम भी हुई रवाना

शाम करीब पांच बजे गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम देहरादून पहुंची, जिन्हें रैणी गांव के लिए रवाना किया गया। वहीं, आर्मी की छह टुकडिय़ां व नौ सेना के गोताखोर रवाना किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति को देखते हुए दो एमआइ-17 जौलीग्रांट में तैनात किए गए हैं, ताकि जरूरत पड़े तो इससे और जवानों को रेस्क्यू के लिए भेजा जा सके। 

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